Quality Control | Quality Control - Pharmaceutical Guidelines |
Pharmaceutical Industry | Quality Control | Quality Control - Pharmaceutical Guidelines फार्मा कंपनियां खुद ही तय करती है दवाओं की गुणवत्ता I इन दवाओं को बाजार में भेजे जाने से पहले सरकारी लैब में नहीं होती है इनकी जांच निर्यात होने वाले कब सिर्फ की जांच केवल सरकारी लैब में ही अनिवार्य होगी

Pharmaceutical Industry | Quality Control | Quality Control - Pharmaceutical Guidelines
फार्मा कंपनियां खुद ही तय करती है दवाओं की गुणवत्ता I इन दवाओं को बाजार में भेजे जाने से पहले सरकारी लैब में नहीं होती है इनकी जांच निर्यात होने वाले कब सिर्फ की जांच केवल सरकारी लैब में ही अनिवार्य होगी I 1 जून से कफ सिरप के निर्यात करने से पहले दवा निर्माताओं को इसकी जांच सरकारी लैब में करवाना अनिवार्य कर दिया गया है हालांकि घरेलू बाजार के अंदर फिलहाल यह नियम लागू नहीं होता है ।
सरकार एक ऐसा नियम इसलिए लेकर आई है क्योंकि कई देशों में भारतीय कफ सिरप पीने की वजह से बच्चे बीमार पड़ गए और भारतीय दवा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए । आने वाले समय में निर्यात होने वाली अन्य दवाओं के लिए यह भी नियम लागू हो जाए विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष सारंगी ने बताया है कि घरेलू बाजार में बिकने वाली दवा की गुणवत्ता को दवा निर्माता ही सत्यापित करते हैं । ड्रग कंट्रोलर बाजार में बिकने वाली दवा के सैंपल को जांचने के लिए औचक निरीक्षण करते हैं और उन दवाओं की खराब पाए जाने पर उन पर कार्रवाई भी करते हैं ।
सवाल उठने लगा है कि घरेलू बाजार के अंदर उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए उसकी जांच सरकारी लैब में क्यों नहीं हो सकती है । हाल ही में हिमाचल प्रदेश के बद्दी में दवा के पाउडर से गोली बनाने में इस्तेमाल होने वाली 2 साल्ट की गुणवत्ता खराब पाई गई थी । बद्दी के दवा निर्माताओं के मुताबिक इस साल्ट में बेचने वाली एक कंपनी ने उस साल्ट पर एक उसकी एक्सपायरी 4 साल बाद दिखा रखी थी जबकि वह अधिकतम डेढ़ साल ही काम कर सकता था ।
इसी तरह साल्ट के इस्तेमाल से बनी गोली टेस्ट में पास हो जा रही थी, लेकिन सात आठ महीने बाद वह गोली घुलनशील नहीं रह जाती जिससे उस गोली के साल्ट के इस्तेमाल से बनी दवा पर सवाल उठ सकते हैं । इसीलिए फार्मा कंपनियां ही दवा की गुणवत्ता को खुद तय करती है और बाजार में भेजे जाने से पहले इनकी जांच सरकारी लैब में नहीं होती है और इनकी जांच सरकारी लैब में करवाना अनिवार्य होना चाहिए ।