Germany's strategic ties with India important for Indo-Pacific-हिंद प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी करेगा भारत के साथ रक्षा संबंध मजबूत ।

Germany's strategic ties with India important for Indo-Pacific-हिंद प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी करेगा भारत के साथ रक्षा संबंध मजबूत ।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी करेगा भारत के साथ रक्षा संबंध मजबूत । जर्मनी के रक्षा मंत्री पिस्टोरीयस और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई है बैठक । जर्मनी देश अब खुलकर हिंद प्रशांत क्षेत्र की गतिविधियों के मध्य नजर रखते हुए भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सिफारिश कर रहा है । जर्मनी के रक्षा मंत्री भारत दौरे पर आए और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में आपसी रक्षा संबंधों को लेकर वार्तालाप हुई लेकिन इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र की मजबूत मौजूदा स्थिति को लेकर खासतौर पर विचार विमर्श हुआ ।
इसके बाद में पिस्टोरियस ने कहा कि हम भारत के साथ रक्षा समझदारी को बढ़ाना अवश्य चाहेंगे । हम भारत देश के साथ वैसा ही रक्षा संबंध बनाना चाहते हैं जैसे अभी जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ है हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में आने वाले वर्षों में क्या होगा और क्या नहीं होगा । जर्मनी के रक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि अमेरिकी रक्षामंत्री लाइट आसिटन की तरफ से हिंद प्रशांत क्षेत्र के अंदर भारत से अगुवाई करने के लिए आह्वान एक दिन बाद आया है । और यह इस बात का प्रमाण है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक गतिविधियों को मध्य नजर रखते हुए अमेरिका और पश्चिमी भारत देश के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की कितनी वीरता दे रहे हैं वैसे भारत को भी अपनी रक्षा जरूरतों के लिए इन देशों की जरूरत पड़ सकती है ।
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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जर्मनी के रक्षा मंत्री के बीच वार्ता में ऐसे बहुत सारे रक्षा उपकरणों की आपूर्ति को लेकर बातचीत हुई जिसकी भारत देश को जरूरत है।रक्षा मंत्रालय ने यह बताया कि बैठक में भारत की तरफ से जर्मनी की रक्षा कंपनियों को उत्तर प्रदेश में तमिलनाडु के डिफेंस कॉरिडोर में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया है । जिससे कि भारतीय कंपनियां जर्मनी की रक्षा आपूर्ति सिस्टम में भी अपना हिस्सा ले सकेंगे दोनों देशों के बीच में पनडु्बी आपूर्ति की संभावनाओं पर भी बातचीत हुई है ।
यह भी माना जाता है कि भारत सरकार ने अभी तक इस बारे में जिन देशों की कंपनियों की पहचान की है उनमें जर्मनी की कंपनी का प्रस्ताव काफी बेहतर माना गया है इन प्रशांत क्षेत्र में जिस तरह से चीन अमेरिका व दूसरे देशों के नौसैनिक गतिविधियां बढ़ती दिख रही है । उसको देखते हुए भारत कई तरह से पनडुब्बियों खरीदने पर भी विचार विमर्श कर रहा है सिर्फ पारंपरिक छह पनडुब्बियों पर भारत 43000 करोड रुपए खर्च करने के लिए तैयार है ।